रामायण

रामायण by Spydor Studios

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रामायण रिकैप्स में आपका स्वागत है, पॉडकास्ट जहां हम रामायण के महाकाव्य हिंदू धर्मग्रंथ में तल्लीन हैं। प्रत्येक एपिसोड, हम आपके लिए प्रसिद्ध रामायण टीवी शो से ऑडियो लाते हैं, जिसमें भगवान राम, उनकी पत्नी सीता और राक्षस राजा रावण को हराने की उनकी यात्रा की क्लासिक कहानी को फिर से बताया गया है।


जैसा कि हम कहानी सुनते हैं, हम अपनी अंतर्दृष्टि और विश्लेषण भी प्रदान करते हैं, उन विषयों, पात्रों और प्रतीकों की खोज करते हैं जो रामायण को एक कालातीत कृति बनाते हैं। हम कहानी के माध्यम से चलने वाले प्रेम, वफादारी और भक्ति के संदेशों के साथ-साथ महाकाव्य लड़ाइयों और दैवीय हस्तक्षेपों पर चर्चा करेंगे जो इसे इतना रोमांचकारी बनाते हैं।


चाहे आप लंबे समय से रामायण के प्रशंसक हों या कहानी के लिए नए हों, हमारा पॉडकास्ट आपको एक मनोरम यात्रा पर ले जाएगा जो हिंदू पौराणिक कथाओं की आपकी समझ को समृद्ध करेगा और आपको पात्रों की वीरता और ज्ञान से प्रेरित करेगा।


तो हमारे साथ जुड़ें क्योंकि हम रामायण के अध्यायों के माध्यम से यात्रा करते हैं और इस पौराणिक महाकाव्य के जादू और आश्चर्य का अनुभव करते हैं।




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Listen to the last episode:

भरत के बाद राजा जनक भी राम से मिलने चित्रकूट पहुँच जाते हैं। सभी में आशा जागती है कि राजा जनक अपने वचनों से राम को अयोध्या वापस जाने के लिये राजी कर लेंगे। सीता अपने माता पिता से मिलती हैं। बेटी को तपस्विनी वेश में देखकर पिता भावुक होते हैं लेकिन अपनी बेटी के संस्कारों को देखकर उन्हें गर्व की अनुभूति भी होती है। रानी सुनयना राजा जनक को सभी की इच्छा से अवगत कराती हैं कि वे राम को अयोध्या लौटने के लिये प्रेरित करें। भरत भी माता कौशल्या को राजी करने का प्रयास करते हैं कि वे माता के विशेषाधिकार का प्रयोग कर राम को अयोध्या लौटने का आदेश दें। उधर कैकेयी राम के पास जाती हैं और कहती हैं कि यदि वो उसे अपनी माँ मानता है तो उसकी आज्ञा मानकर अयोध्या चले। राम फिर तर्कों का सहारा लेते हैं और कहते हैं कि यदि वो उन्हें एक तिरस्कृत जीवन जीने को मजबूर करना चाहती हैं तो वह अयोध्या वापस चलने को तैयार हैं। कैकेयी को निरुपाय होना पड़ता है। अगले दिन सभा की अध्यक्षता राजा जनक को सौंपी जाती है। राम जनक की आज्ञा का वचन देते हैं। भरत भी उनसे निष्पक्ष न्याय की गुहार लगाते हैं और राम के वहीं वन में राज्याभिषेक की माँग करते हैं। भगवान शंकर का स्मरण कर राजा जनक न्याय करने बैठते हैं। पहले वे कहते हैं कि भगवान भी भक्त के निश्चल प्रेम के आगे विवश होते हैं। यहाँ भरत का अपने भाई के प्रति भक्ति और प्रेम अथाह है इसलिये उनका पलड़ा भारी है। राजा जनक के ये वचन सुन भरत समेत सभी के चेहरे खिल उठते हैं। लेकिन अगले ही पल जनक प्रेम का दूसरा पक्ष भी रखते हैं और कहते हैं कि प्रेम निस्वार्थ होना चाहिये। प्रेम कुछ माँग नहीं सकता बल्कि अपने प्रेमी को कुछ देता है, उसके सुख के लिये सब कुछ लुटा देता है। जनक भरत से कहते हैं कि वे राम से उनकी प्रसन्नता पूछें और उसे पूजा समझ कर पूरा करें। भरत राम के चरणों में बैठकर उनकी इच्छा पूछते हैं। राम भी भरत के प्रेम के आगे हारकर अयोध्या का राज्य स्वीकार करते हैं किन्तु पिता का वचन पूरा करने के लिये वनवास की चौदह साल की अवधि पूरी होने तक भरत को राज्य की देखभाल का दायित्व सौंपते हैं। भरत राम को उनके वचन से बाँधने के लिये घोषणा करते हैं कि यदि उन्होंने चौदह साल से एक दिन भी देरी लगाई तो वे अग्निप्रवेश कर लेगें। भरत राम से उनकी चरण पादुकाएं लेते हैं ताकि उन्हें राज सिंहासन पर रखकर वे राम के प्रतिनिधि के रूप में राजकाज सम्भालें। भरत बड़े भाई की चरण पादुकाएं शीश पर रखकर लौटते हैं। विदाई के इस भावुक पल में सभी की आँखों से अश्रुधारा बहती है।





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Previous episodes

  • 25 - रामायण - EP 25 - राजा जनक का न्याय। भरत का राम की चरण पादुकाओं के साथ अयोध्या लौटना। 
    Sat, 28 Oct 2023 - 0h
  • 24 - रामायण - EP 24 - कैकेयी द्वारा मृत्यु दण्ड की माँग। भरत द्वारा राम से राज्य सम्भालने की याचना। 
    Thu, 04 May 2023 - 0h
  • 23 - रामायण - EP 23 - भरत का वन प्रस्थान। लक्ष्मण का क्रोध। राम भरत मिलाप। 
    Tue, 02 May 2023 - 0h
  • 22 - रामायण - EP 22 - राजा दशरथ की अन्त्येष्टि। भरत द्वारा राजसिंहासन को ठुकरना। 
    Fri, 28 Apr 2023 - 0h
  • 21 - रामायण - EP 21 - भरत-शत्रुघ्न का आगमन और शोक। भरत-कौशल्या संवाद। 
    Thu, 27 Apr 2023 - 0h
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