Premchand Ki Lokpriy Kahaaniyaan

Premchand Ki Lokpriy Kahaaniyaan by Surbhi Kansal

Surbhi Kansal

अमर कथाकार मुन्शी प्रेमचन्द हिन्दी साहित्य जगत के ऐसे जगमगाते नक्षत्र हैं जिनकी रोशनी में साहित्य प्रेमियों को आम भारतीय जीवन का सच्चा दर्शन प्राप्त होता है।

Categories: Arts

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रमा इतना निस्तेज हो गया कि जालपा पर बिगड़ने की भी शक्ति उसमें न रही। रूआंसा होकर नीचे चला गया और स्थित पर विचार करने लगा। जालपा पर बिगड़ना अन्याय था। जब रमा ने साफ कह दिया कि ये रूपये रतन के हैं, और इसका संकेत तक न किया कि मुझसे पूछे बगैर रतन को रूपये मत देना, तो जालपा का कोई अपराध नहीं। उसने सोचा,इस समय झिल्लाने और बिगड़ने से समस्या हल न होगी। शांत होकर विचार करने की आवश्यकता थी। रतन से रूपये वापस लेना अनिवार्य था।

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  • 46 - गबन ( पार्ट ९) by Surbhi Kansal  
    Tue, 23 Apr 2024
  • 45 - गबन ( पार्ट ८) by Surbhi Kansal  
    Thu, 04 Apr 2024
  • 44 - गबन ( पार्ट ७) by Surbhi Kansal  
    Mon, 11 Mar 2024
  • 43 - गबन ( पार्ट ६) by Surbhi Kansal  
    Sat, 24 Feb 2024
  • 42 - गबन (पार्ट ५) by Surbhi Kansal  
    Mon, 22 Jan 2024
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